रायपुर डेस्क: छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की पहली प्रवासी श्रमिक नीति जारी कर दी है।
इस श्रमिक नीति से प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों और आजीविका सुरक्षित रखी जा सकेगी फिर चाहे श्रमिक अपने राज्य में हो या किसी अन्य राज्य में नीति के तहत सरकार छत्तीसगढ़ के सभी प्रवासी श्रमिकों का और ऐसे लोगों का जो दूसरे राज्य में काम करना चाहता है उनका डाटाबेस तैयार करेगी। इस डेटा बेस में प्रवासी श्रमिकों को पहचान पत्र, श्रम पंजीयन, बैंक खाता, आधार कार्ड आदि दस्तावेजों की पूरी जानकारी होगी।डेटाबेस के जरिये सरकार श्रमिकों के अधिकार, आजीविका उनके बच्चों के अधिकार उन राज्यों में भी सुरक्षित कर सकेगी जिन राज्यों में श्रमिक काम कर रहे है। हालांकि सरकार की यह कोशिश होगी की सभी श्रमिकों को अपने ही राज्य में रोजगार मिले। सभी ग्राम पंचायतों और वार्डों में बने प्रवासी और पलायन रजिस्टरों को डिजिटल किया जाएगा।इसमें प्रवासी श्रमिकों को काम देने वाले, उनके ठेकेदार और मजदूरों को यहां से ले जाने वाले एजेंटों का पंजीयन होगा। प्रदेश के प्रत्येक थाने में प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए अलग से हेल्प डेस्क बनेगा।इस नीति में कौशल प्रशिक्षण पर भी जोर दिया गया है। श्रम विभाग की मंशा है कि ऐसे मजदूरों के हुनर का तराशा जाए। उनको कौशल प्रशिक्षण देकर अपडेट करने की योजना है। ताकि अगर वे दूसरे प्रदेशों में भी जाकर काम करना चाहते हैं तो उनको बेहतर काम और मजदूरी मिले।