
रायपुर bkb डेस्क : कोरोना बंदिशों के बाद इस वर्ष दुर्गोत्सव समितियों द्वारा गरबा प्रतियोगिता और भारी भरकम पुरस्कारों के कारण छत्तीसगढ़ी संस्कृति जसगीत अत्यंत कम सुनाई पड़ रही है. वर्तमान हालात देखकर छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर मंडरा रहे खतरे से वरिष्ठजन चिंतित होने लगे हैं. नगर एवं क्षेत्र में बादल छंट कर मौसम सुहावना होते ही नगर और क्षेत्रवासियों की भीड़ दुर्गा पंडालों में उमड़ पड़ी है. नगर के अग्रसेन दुर्गोत्सव समिति एवं अंजली विहार कॉलोनी दुर्गोत्सव समिति में प्रतिदिन सैकड़ों स्त्री-पुरुष और बच्चे गरबा करने आकर्षक वेशभूषा में पहुंच रहे हैं. हालात इस तरह है कि एक-एक पंडाल में 200 से 500 की संख्या में लोग गरबा करते देखे जा सकते हैं.नगर के दो प्रमुख गरबा पंडालों में पुरस्कारों की बारिश हो रही है. अंजली विहार कॉलोनी दुर्गोत्सव में आयोजित दुर्गा पंडाल के गरबा में प्रथम पुरस्कार 44 हजार, द्वितीय 21 हजार, तृतीय 11 हजार, चतुर्थ एवं पंचम को 8-8 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा. इसके अलावा प्रतिदिन प्रथम पुरस्कार 5 हजार रुपए एवं प्रत्येक प्रतिभागी को 100 रुपए नकद सहित कुछ प्रायोजकों द्वारा गिफ्ट भी दिया जा रहा है. इसके अलावा अग्रसेन दुर्गोत्सव समिति में आयोजित गरबा में प्रथम पुरस्कार 31 हजार, द्वितीय 21 हजार, तृतीय 11 हजार के अलावा प्रतिदिन के प्रथम पुरस्कार 3100 रुपए नकद दिया जा रहा है. इसके अलावा कुछ प्रायोजक अपनी ओर से प्रतिभागियों को गिफ्ट भी दे रहे हैं. पुरस्कारों का चयन प्रतिभागियों की वेशभूषा एवं नृत्य को मिलाकर किया जा रहा है.